मैं यह देख पाई कि एक काउंसलर के लिए व्यक्तिगत तैयारी कितना जरूरी है – मेरी कार्यसूची या इच्छा को लाना नहीं लेकिन परमेश्वर के उपकरण बनकर उसके वचन, उसकी योजना और इच्छा को दूसरों के जीवन में लाना है। मुझे परमेश्वर की सहायता से अच्छी तैयारी करना है ताकि मैं सांत्वना देने के लिए गलत बातों ना बोलूं ना ही ऐसा कुछ जो वचन पर आधारित ना हो!